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नेमिनाहचरिउ
[१२१७]
इय सुणेविणु वयणु मुणि-वरहं
संसार- विरत-मणु सामंत-अमच्च वणि
अह अवराजिउ वित्थरिण
गहिवि चरणु हरिनंदि-निवु जयइ सिद्धि-सुह-कज्जि ॥
सिव - सुहिच्छु हरिनंदि - नरवई । ari - सहिउ निय-भवणि आवइ || विणिवेसिउण स-रज्जि ।
परिसोसिय-कम्म-मलु पडिवो हिय-भविय - जणु अ- पडिहय- वर-नाण- धणु हुउ हरिनंदि सु राय - रिसि
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[१२१८]
कमिण वहु-विह-तव-विसेसेर्हि
विमल नाण- सच्चचिय- तिहुयणु । परिविमुक्क- माणविय-भव-तणु ॥ गलिय-सयल - अवलेउ । सिव-मंदिर - सिरि-केउ ॥
[१२१९]
सो वि पुणु तिण पीइमइ - पमुह
बहु-भय-अंतेउरिण
उवभुंजिरु पायडर दे यदु विहं
वर सचिव पर मित्त पुणु विमलबोहु सुपसिद्धु ॥
समगु पंच - विह विसय-सुक्खईं । पुव्व- जम्म-कय-सुकय- लक्खई ॥ पिहू पहु दे समिद्ध ।
[१२२०]
अर - कालिण महिहिं सयलाई
परिसाहिवि सत्त- गणु नच्चाविवि कित्ति वहु कारिवि नवई जिणाययणजि ण्ण समुद्धारेवि ।
पवयण भत्ति पयासिण
गुरुणु सक्कारेवि ॥
एग-छत्तु निय-रज्जु संठिवि । भुवण - रंगि तह आण फेरिवि ||
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