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नेमिनाहचरिउ
[१२०९] कमिण चविउण तियस-भवणाउ माहिंदह चवलगइ- मणगइ त्ति ते पुव्व-सोयर । तसु बंधव इह वि हुय सूर-सोम-अभिहाण मणहर ॥ अवरम्मि उ अवसरि निवह अत्थाणुव विट्ठस्सु । पुरउ भणिउ उज्जाणिइण उद्धाविय-हिअवस्सु॥
[१२१० जमिह सामिय अज्जु उज्जाणि मुणि-महुयर-विहिय-पय- पउम-सेबु वर-नाण-दिणयरु । मुसुमृरिय-तम-तिमिरु भविय-जंतु-संताण-सुहयरु ॥ दस-पयार-मुणिवर-किरिय- परिवालण-गय-चित्तु । विमलबोह-अभिहाणु गुरु आइउ चारु-चरित्तु ॥
[१२११]
अह समुस्सिय-चहल-रोमंचु अवराजिय-जुव-निवइ सूर-सोम-सुय-रयण-पमुहिण । सामंत-अमच्च-वणि- वरिण जणिय-निय-निय-समिद्रिण ॥ सयलंतेउर-परियरिउ निय-परिवार-समेउ । आगंतु वि वंदइ गुरुहुं पय-पउमई पणमेउ ॥
[१२१२]
अह जहारिहु धरणि-नाहम्मि उचियासणि संठियइ विमलवोह-मुणिवरु स-वित्थरु । परिसाहइ जह - अहह भवु पलित्त-गेहु व अ सुंदरु ॥ काइय-वाइय-माण सिय- दुह-लक्खहं य निहाणु । न खमउ खणु वि विवेइयहं एत्थ पमाय-विहाणु ॥
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१२.९. ९. वद्धाविय १२११. ५.क. जणिण.
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