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________________ ३०२ नेमिनाहचरिउ 'पर मेहला पीइमइ' ति ॥ [१२०१] इय विचित्तर्हि वयण - रयणहिं आनंदिवि निवइ-मणु परिणिज्जिवि पीइमइ धवलिवि महि-मंडलु जसिण किज्जेत हिय-इच्छियइ वीवाहिय वित्थरिण [१२०२] कुमर - स्यणिण पीइमइ-कन्न माणु दलिवि पडिवक्खि- कुमरहं । जणिवि चोज्जु निरु विबुह बिसरहं ॥ सविहि पहुत्तइ लग्गि । पणइयणहं जह-जोरिंग ॥ वृद्धावण- तूर खु रुयादिण वित्थरिय असरिस पसरिय-तोस-भर विलसहिं पुर-तरुणीउ || तह कह - चिजह लहु अ-सेसहं । हरिस भरु वि पसरियउ वसुहहं || कुमरि-जणय-जणणीउ । [१२०३] तयणु चच्चरि तिगि चक्कम्मि पुर-रच्छहिं क्व-सरउद्धीकय-कह-लहु घर - अवलोयण - जिणभवण- पायास्वरि निविट्ठ | नयण- पहागइ नव- मिहुणि तर्हि तरुणियण पट्ठि ॥ नव-परिणिय - पीइमइ Jain Education International 2010_05 सरिय-तीर - धरणियल - सिहरिहि । कय-निवेस - - वहु-मंच - विवरिहिं ॥ [१२०४] भाइणि अग्गल मुयसु जिह हउं वि पियह असम-सोहग्ग- सारह | अकय-तवहं दुलहह कुमारह || अवलोयहुं मुह-कमलु अवर भणइ - हलि हेल्लडी किं तुह एत्तिउ सोडु । एयह मिहुणह जोयणइ अम्हा विकिन कोडु ॥ १२०२. ३. क. कंह चि. ७. क. जणणीओ. [ १२०१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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