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________________ २९८ [११८५] एत्थ - अंतरि घिसि विलसिउ इय सिरि जं चिट्ठहि मह जणणिइय चिंतिरु चारण- मुणिहिं अंसुमालि खयराहिवु वि नव-परिणिय-गहिय-पिउ फुडु गहिर- पर्यंत- बहुस- निउत्तय-नहयर-रइयअवराजिउ आणंदपुर नेमिनाहचरिङ Jain Education International 2010_05 -- [११८६] विवि - नहर - विहिय-पय-सेवु सुरु असुरु व नहयरु व जो कुविसु स परियणह तह अवराजिय- कुमर-वरमह धूयहं तसु जणयहं वि अहह मह जम्मु किमु इमेण गरुइण पयाविण । जणय गहिय- सव्वंग-ताविण ॥ पय पउमई पणमेव । लहु अणुजाणावेवि ॥ [११८७] पत्तु ता जियसत्तु-नामेण नीसेस- नायर-जुइण गरुय चोज्ज - विम्हइय-हियइण । न सुर-गणु को -वि इहु इय स-तोसु पष्फुल्ल- नयणिण || धूव-कडच्छुय-करयलिण परिहिय- सिय-वत्थे | उप्पाडिय - कुसुमंजलिण स-हरिसु भणिउ निवेण ॥ समग-चलिय-वहु-खयर - परियणु । वंदि -सह- पूरिय नहंगणु || पवर - विमाणि चडेउ । उवरि नियय-कुल- केउ ॥ [११८८] जक्खु किन्नरु सिद्ध गंधव्वु नियय- पउर-परिवार - कलियउ । मज्झ अग्घ-गिण्हणिण पसियउ | संपायणिण तुरंतु । कुणउ पसाउ महंतु ॥ For Private & Personal Use Only [११८५ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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