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[११८५] एत्थ - अंतरि
घिसि विलसिउ इय सिरि जं चिट्ठहि मह जणणिइय चिंतिरु चारण- मुणिहिं अंसुमालि खयराहिवु वि
नव-परिणिय-गहिय-पिउ फुडु गहिर- पर्यंत- बहुस- निउत्तय-नहयर-रइयअवराजिउ आणंदपुर
नेमिनाहचरिङ
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[११८६]
विवि - नहर - विहिय-पय-सेवु
सुरु असुरु व नहयरु व जो कुविसु स परियणह तह अवराजिय- कुमर-वरमह धूयहं तसु जणयहं वि
अहह मह जम्मु
किमु इमेण गरुइण पयाविण । जणय गहिय- सव्वंग-ताविण ॥ पय पउमई पणमेव । लहु अणुजाणावेवि ॥
[११८७]
पत्तु ता जियसत्तु-नामेण
नीसेस- नायर-जुइण गरुय चोज्ज - विम्हइय-हियइण । न सुर-गणु को -वि इहु इय स-तोसु पष्फुल्ल- नयणिण || धूव-कडच्छुय-करयलिण परिहिय- सिय-वत्थे | उप्पाडिय - कुसुमंजलिण स-हरिसु भणिउ निवेण ॥
समग-चलिय-वहु-खयर - परियणु । वंदि -सह- पूरिय नहंगणु || पवर - विमाणि चडेउ । उवरि नियय-कुल- केउ ॥
[११८८] जक्खु किन्नरु
सिद्ध गंधव्वु
नियय- पउर-परिवार - कलियउ । मज्झ अग्घ-गिण्हणिण पसियउ | संपायणिण तुरंतु । कुणउ पसाउ महंतु ॥
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