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________________ २९५ ११७६] पंचमभवि अवराइयवृत्तंतु [११७३] अमिय-संखय-चारु-चउरंग वल-पूरिय-धर तरुण विहिय-अंग-सिंगार सुंदर । आणंदपुरि पत्त अह निविण तेसि आवास मणहर ॥ नियय-निउत्तय-माण विहिं चियराविय जह-जोग्गु । कमिण पहुत्तउ पीइमई- कुमरि-विवाहह लग्गु ॥ [११७४] अह अणुक्कमु वियरियादेसु सव्वेसि वि निव-सुयह आसणेसु वसुहाहिराइण । उवविट्ठ नरिंद-सुय सव्वि तयणु अविलंव-जोइण ॥ नाणा-विह-सहियण-सहिय करयल-कय-वरमाल । कय-असरिस-सिंगार जियसत्तु-नरिंदह वाल ॥ [११७५] लहु सयंवर-मंडवह मज्झि निय-दसण मेत्तिण वि निवइ-मुयह सयलहं वि हिययई । खोहंती पत्त अह अंव-धाइ तह नाम-गोयइं ॥ कमिण निवेयइ कुमरियहि न-उण कहि-चि वि एय । दिहि वि खिवइ निवंगरुहि सुर-गिरि-गरुय-विवेय ॥ [११७६] तयणु कंचुगि भणइ - नणु कुमरि सम्वे वि निवंगरुह संति एत्थ मिलिऊण आगय । इय फेडसु पुच्छिउण कलहं विसइ निय-हियय-संसय ॥ एत्थंतरि महुरक्खरिहिं कुमरिहिं ईसि इसेवि । लज्ज-वसिण मुहु महियलहं सम्मुहु विणिवेसेवि ॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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