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________________ [१९३ नेमिनाहचरिउ [११६१] अह विसेसिण भणइ खयरिंदु नणु मुणिवर मह कहसु तीए पीइमइ-वाम-नयणह । वुत्तंतु लेसिण तयणु मुणि भणेइ जह - वसुह-वलयह। मंडणि तिव्व-पयाव-निव- पयडिय-सोह-समिद्धि । सिरि-आणंदपुरु त्ति अ-वितह-अभिहाण-पसिद्धि ।। [११६२] साहु-वसहु व गय अलंकारु धण-संदणु पाउसु व दुसह-सूरु सारइय-कालु व । सुर-सरि व पवाह-सिरि रायहंस-कय-सेवु गयणु व ॥ इय वहु-हय-गय-सुहड-रह- चउविह-सेन्न-समिद्ध । आसि वसुंधर-नाहु सिरि-जियसत्तु त्ति पसिद्ध ॥ [११६३] तस्सु हिमगिरि-धर व परमहिम ससि-रेह व विमल-पह रयण-निहि व वहु-संख-सुत्तिय । रोहण-गिरि-वसुमइ व विमल-रयण-गुरु-देव-भत्तिय ॥ सारय-रयणीयर-किरण- निम्मल-गुणहं निहाण । धारिणि-नामिय आसि पिय अंतेउरह पहाण ॥ [११६४] तेसि अणहुय-पुष-विरहाई भुजंतहं विसय-सुहु असम-सुमिण-सूइय-समाणिय । चविऊणं रयणवइ- तियसु धूय हुय वुह-वखाणिय ॥ तयणंतरु पत्तावसरु निवइण दिण-सुद्धीए । पीइमइ त्ति विइण्णु तसु नामु गरुय-रिद्धिए । ११६३. ७. कलहं. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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