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________________ ११६०] पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु .[११५७] the एत्थ व भरह - खेत्तम्मि समुदविजय- नरनाह - नंदणु । ति-जय- लोय - आणंद-संदणु ॥ उसह-चउव्वीसाए । महिहि सु-कय- आसाए ॥ सिरि-वारवहिं पुरिहिं हरि-वंसह जस-कलसु aratasy जिणाविर rass सामिउ नेमि - जिणु [११५८] विमल सिरि-नेमिनाहह जिणह तयणंतरु स परियणु पुणु पुणु अवराजिय-कुमरभइ रहय-कर-कोसु कय Jain Education International 2010_05 हरिनंदि-नरवइ- सुयह अवराजिय-नामयह रज्ज-धुरंधरु अंगरु ears कु-वि अहवन्नयह [१९५९] भयवमस रिस-सुकय- रासिस्सु वि सचिव अंगरुहु तणउ सीसु गण-हारि हविes | सुमालि नहयरहं अहिवइ || गुण-गणु मणि सुमरंतु । किच्चु अप्पु मन्नंतु ॥ [११६०] तयणु चारण- मुणि भणइ - नेय खयरिंद तुह कन्नयह न-वि य इयरह विखयर - दुहियह । हविह कु-वि रज्ज-धरु पु० - जम्म- संतइ - निविडतरुणी - रयणह पीइमइ arउ किंतु सोहग्ग-निलयह ॥ सुघडिय - पडिवंधस्सु । अभिहाणिण पयडस्सु ॥ - उभय- लोय-जय-जंतु - सुहयह । इमह सयल - गुण - पुरिस - रयणह || किमिह कणयमालस्सु । सुकयवइहि दइयस्सु ॥ For Private & Personal Use Only ३९१ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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