SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 300
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४७ पंचमभवि अबराइयवुत्तंतु [११४१] इय वियाणिय-उभय-वुत्तंतु खयराहिवु तुट्ठ-मणु वित्थरेण धरणियल-सारह । हरिनंदि-नरिंद-कुल- गयण-ससिहि स-हरिमु कुमारह ।। कणयमाल वियरइ तयणु केत्तियई वि दियहाणि । तीए सह सेवइ कुमरु निरुवम-विसय-मुहाणि ।। [११४२] सहुवसाहइ विविह-विज्जाउ मुहि-सज्जण तूसवइ ललई सयल-गिरि-काणणाइसु । सुस्मुसइ सु-गुरु-पय जयइ सययमवि इयर-अस्थिसु ॥ उचिय-किरिय-पवित्ति-परु पगइ-अदीण-सहावु । अ-दढाणुसउ कयण्णुयउ अ-विहिय-पर-संतातु ॥ [११४३] देव-मुणिवर-विहिय-वहु-माणु रयणायर-गहिर-मण पसरु सहल-आरंभु सुहयरु । वंदंतउ जिण-वरहं विव हरिस-रोमंच-मणहरु ॥ निय-जस-धवलिय-सयल-दिसि सुयण-मणेसु वसंतु । चिट्ठइ दोगुंदुग-सुरु व गउ वि कालु अ-मुणतु ॥ [११४४] अवर-अवसरि विहि-निओएण आकंपिय सयल महि विरस-सरिण धडहडिउ गिरि-वरु । अंधारिउ गयणयलु जलिउ लग्गु दह-दिहिहिं अंतरु ॥ दियहि वि पविसहिं वसिमि वण- सावय परिधावेउ । भग्ग-सुक्क-तरु-सिहर-ठिय वायस विरसु रसेउ ॥ ११४२. १. क, 'विज्जाओ. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy