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नेमिनाहचरिड इओ य ।
[११३७]
दिट्ट-निसुणिय-कुमर-माहप्पसविसेस-समुल्ल सिय- गरुय-राय-सव्वंग-विहुरिय। कह-काहमवि कणगह गइय नियय-धवलहरि कुमरिय ॥ ता अत्थमियइ सहस-करि रयणि-रमणि उदियम्मि । सव्वक्किहि विरहाउरिहि निसियर-कुलि मुइयम्मि ॥
[११३८] __ अह कइयहं पुणु-वि पेक्खेउ तमु सुहयह मुह-कमलु कह-व सुइरु तमु हियइ विलसिसु । किह पांविसु सु जि बरु किह-णु किह-णु तमु चित्तु रंजिसु ॥ कइयह रमिहइ समगु मई पिउ पयडिय-अणुराउ। अहव अहन्नह मह किह-णु इहु सु-कयह अणुहाउ ॥
[११३९]
अरि निभग्गिय इङ जि संसारि जं पत्तु नि तुडि-वसिण भुजण-अहिय-निय-पुण्ण-पगरिमु । तिण तारिस-वइयरिण उत्तरीउ हस्थह सु तारिसु ॥ अहव अकारण-वच्छलिण विहिण अहन्न-घरम्मि । चिंतामणि पट्टविश्रो वि वच्चइ अन्नयरम्मि ॥
[११४०]
इय पयंपिर वियल-वावार खणु उट्ठइ खणु सुयइ लुलइ महिहिं खणु खणु पणच्चइ । गायइ खणु खणु हसइ खणु वहिम्मि अ-निमित्नु वच्चइ ॥ इय दुल्लंभह माणुसह तमु रेसिहि सा वाल । कह कह नडइ न अप्पु लहु नं सविहिय-खय-काल । ११३९ ८ क. ख. पट्टविउ.
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