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________________ ११२० ] पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु [१११७] तयणु माहवि लयह नीहरिवि सु असिधेणुहुं बंध अरि भय दिष्णु तुह आगय खयर नरिंद-भड भहिं य साहिखेषु जह छिंदिऊण जंपिउ कुमारिण । अभउ एत्थ - अंतरि वि अइरिण || [१११८] अरिरि मेलहि इहु दुरायारु करयल-कय-करवाल । सविहागय खय-काल ॥ परखुद्द मन मरहि अहवा इह गरुयहं वि तयणतरु फुरियाहरिण कुमरिण भणिउ स-रोसु । सीहह मुहु मन खंडहिवि दइवह देज्जहु दोसु ॥ दुलह पुण व एरिस समिद्धिउ । अंतयालि जायहिं कु-बुद्धिउ || [१११९] दलि हउं पुणु दप्पु तुम्हाईं जह - पहुनह वल्लह-नयरकिरणावलि अभिहाणियह ३६ Jain Education International 2010_05 सलाहं विन-उण इहु ता कन्न पिहेवि लहु अम्हे बहुया एहु इगु इहु तुब्भ वलु दलिस हउं [११२०] एत्थ - अंतरि अंसुमाली वि विष्णाय - वइयरु खणिण तयणंतरु नहयरिहि सरण -पत्तु अप्पेसि कहमवि । तुब्भि जाह निय-ठाणि संयमवि ॥ इयम-न हियइ धरेज्ज । तुब्भि वि पुरिस हवेज्ज || पत्तु सविहि हरिनंदि-तणयह । भणिउ पुरउ तसु खयर - नाहह || सामिहि रवितेयस्सु | देविहि पाण- पियस्सु ॥ For Private & Personal Use Only २८१ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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