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पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु [१११७]
तयणु माहवि लयह नीहरिवि
सु
असिधेणुहुं बंध अरि भय दिष्णु तुह आगय खयर नरिंद-भड भहिं य साहिखेषु जह
छिंदिऊण जंपिउ कुमारिण । अभउ एत्थ - अंतरि वि अइरिण ||
[१११८]
अरिरि मेलहि इहु दुरायारु
करयल-कय-करवाल । सविहागय खय-काल ॥
परखुद्द मन मरहि अहवा इह गरुयहं वि तयणतरु फुरियाहरिण कुमरिण भणिउ स-रोसु । सीहह मुहु मन खंडहिवि दइवह देज्जहु दोसु ॥
दुलह पुण व एरिस समिद्धिउ । अंतयालि जायहिं कु-बुद्धिउ ||
[१११९]
दलि हउं पुणु दप्पु तुम्हाईं
जह - पहुनह वल्लह-नयरकिरणावलि अभिहाणियह
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सलाहं विन-उण इहु ता कन्न पिहेवि लहु अम्हे बहुया एहु इगु इहु तुब्भ वलु दलिस हउं
[११२०]
एत्थ - अंतरि अंसुमाली वि विष्णाय - वइयरु खणिण तयणंतरु नहयरिहि
सरण -पत्तु अप्पेसि कहमवि । तुब्भि जाह निय-ठाणि संयमवि ॥ इयम-न हियइ धरेज्ज । तुब्भि वि पुरिस हवेज्ज ||
पत्तु सविहि हरिनंदि-तणयह । भणिउ पुरउ तसु खयर - नाहह || सामिहि रवितेयस्सु | देविहि पाण- पियस्सु ॥
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