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१११२]
पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु
[११०९] तह-वि मइं पिय-सहि हि आइटु कायव्वउं इय भणिर पुरउ गंतु वियसंत-वयणह । सविह-हिय-नहयरह धरणि नाह-हरिनंदि-तणयह ।। भणइ - अणंग लया-हरह इमह मज्झि तूरंतु । आगच्छसु अह खयर-गणु-ईसि ईसि विहसंतु ॥
[१११०]
जच्च-कंचण-पह-सरीरो वि किमणंगु भणीउ इहु अह सरीर-कारणु किमेयह । परिचिहइ किं-पि इय सुयणु तुरिउ तुहुं लइय-हरयह ॥ अभंतरि परिखिवसि इहु वाहरिउण अतिहि त्ति । तयणु स-लज्जु समुल्लवइ चउराणण तरुणि त्ति ॥
[११११]
क-वि नवल्लिय एण्हि इय जाय सु-वियइढिम तुम्ह इय कणयमाल-कुमरीए वरयह । भयवंतह मयणह वि कुणह एम्ब उवहासु एयह ।। अहवा किं एएहिं सह मह कवोल-वारण । इय सिरिनंदण कयलि-हर-मज्झि एह अइरेण ॥
[१११२]
सु-कय-जोगिण पयडिहूयस्सु सक्कार करेवि तुह कणयमाल इह मह वसंसिय । मग्गिस्सइ इच्छियह कसु-वि सिद्धि निय-हियय-दंसिय ॥ तुह अणु-पहिण इ नेवि लहु चल्लहुं खयर-कुमार । सुयण-समीहिउ कुणहिं कय- गरुयायर-सक्कार ॥ ११.९. १. क. मायदछु. १११०. २. क, किमिणंगुः ५. क. हरहय. ११११. ३. क. वरहय.
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