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________________ १०९६] पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु २७५ [१०९३] तयणु वियसिय-वयणु खयरिंदु साणंदु समुल्लवइ किह मुर्णिद सो जाणियव्वउ । अह पभणइ अमियगइ सयल-सयण-सुहि-सेवियव्वउ ॥ सिरिपुर-नयरुज्जाण-वणि विमलवोह-सुहि-जुत्तु । रय-सम-खिन्नउ कयलि-हरि चिट्ठइ सुहिण पसुत्त । [१०९४] परि तुह-च्चय खयर-कुमारेण एगयरिण अवहरिवि निद-विवसु निय-मित्त-सहिउ-वि। आणेप्पिणु धवलहरि तुज्झ पुरउ मुच्चिहइ एण्हि वि ॥ तसणिण समुल्लसिय अणुरायाउर-देह । पडिवज्जिसइ विवाह-विहि सयमवि तुह धुय एह ।। [१०९५] तयणु जइ-वि हु तरणि पच्छिमहं उग्गच्छइ जइ जलहि मुयइ नियय-मज्जाय अइरिण । जइ छत्तु हवेइ धर तियस-सिहरि पुणु डंड-रूविण ।। तह वि न मुणि-वर-भासियउ वितह-सरूवु हवेइ । इय चिंतिरु खयरिंदु मुणि- पय हरिसिण पणमेइ ॥ [१०९६] __अह गहे विणु गुरुहु आसीस खयराहिवु निय-नयरि गयउ जाव ता सुकय-जोगिण । आयण्णिवि अमियगइ- समण-वयणु लहु वाउवेगिण ।। विज्जाहरिण हरेवि तुहुं इह आणिउ जय-सार । इय अवराहु खमिज्ज इहु सिरि-हरिनंदि-कुमार ॥ १०९६. ९. क. हिरिनंदिकुमारू, Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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