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नेमिनाहचरिङ
[१०८९]
तसु नमसिवि पाय-पउमाणि
निसुविणु धम्म-कह आराहिवि धम्म - विहि पुच्छिवि कारणु विसय सुह- विमुहत्तह दुहियाए । बज्जिह तुम्भे वि पहु
तयणु रुव - किरियाए ॥
विजिवि अप्पु कय- किच्चु इत्थवि । करिवि सु-लहु वंछिउ परत्थु वि ॥
[१०९०]
तयणु कटकट चारु भणियं ति
जपंतर खयर - वइ
विहिय अंग - सिंगार - पगरि ।
निय दइय- दुहियर्हि सहिउ तर्हि पहुत्तु तक्खणिण स-हरि || चारण- मुणिवर-पय-कमल- जुयलु नमेइ स-तोसु । अह चारण-भुणित कहइ सिव-पहु ववगय-दोसु ॥
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[१०९१]
पत्त-अवसरु विहिय-कर- कोसु
खयराहिव विष्णवs किं खयरह कवि पिय कणयमाल होइहइ मण -हर || ता मुणि-सीहु समुल्लवइ तुह कुल - नह-ससि - लेह | सुर-सरिस विनयरह दइय न हविहइ एह ॥
परिय कह एहु मज्झ मुणि-वर ।
[१०९२]
अह धवक्किय- हियउ खयरिंदु
पुणुरुत्तु समुल्लवइ ता चारण- मुणि भण सिरि- हरिनंदि - नराहिवह कुल-गयणंगण- चंदु | वह अवराजिउ भुवण- जणिय- हरिस-नीसंदु ॥
किं न इमीए परिणयणु हविहइ | खयर-नाह एई धुवु पइ ॥
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