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________________ २७४ नेमिनाहचरिङ [१०८९] तसु नमसिवि पाय-पउमाणि निसुविणु धम्म-कह आराहिवि धम्म - विहि पुच्छिवि कारणु विसय सुह- विमुहत्तह दुहियाए । बज्जिह तुम्भे वि पहु तयणु रुव - किरियाए ॥ विजिवि अप्पु कय- किच्चु इत्थवि । करिवि सु-लहु वंछिउ परत्थु वि ॥ [१०९०] तयणु कटकट चारु भणियं ति जपंतर खयर - वइ विहिय अंग - सिंगार - पगरि । निय दइय- दुहियर्हि सहिउ तर्हि पहुत्तु तक्खणिण स-हरि || चारण- मुणिवर-पय-कमल- जुयलु नमेइ स-तोसु । अह चारण-भुणित कहइ सिव-पहु ववगय-दोसु ॥ Jain Education International 2010_05 [१०९१] पत्त-अवसरु विहिय-कर- कोसु खयराहिव विष्णवs किं खयरह कवि पिय कणयमाल होइहइ मण -हर || ता मुणि-सीहु समुल्लवइ तुह कुल - नह-ससि - लेह | सुर-सरिस विनयरह दइय न हविहइ एह ॥ परिय कह एहु मज्झ मुणि-वर । [१०९२] अह धवक्किय- हियउ खयरिंदु पुणुरुत्तु समुल्लवइ ता चारण- मुणि भण सिरि- हरिनंदि - नराहिवह कुल-गयणंगण- चंदु | वह अवराजिउ भुवण- जणिय- हरिस-नीसंदु ॥ किं न इमीए परिणयणु हविहइ | खयर-नाह एई धुवु पइ ॥ [ १०८९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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