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नेमिनाहचरिउ
[१०८१]
तयणु रइ-सुह-खेय-वस-पत्तनिद्दा-भर-परवसिउ विमलवोह-कय-पाडिहेरु वि । अवराजिउ नहयरिण वाउवेग-नामेण हरिउ वि ।। सिरि-वेयइढ-महागिरिहिं निरुवम-सिरिहि निहाणि । अमरावइ-सन्निहि नयरि केउमाल-अभिहाणि ॥
[१०८२]
सयल-नहयर-राय-तिलयस्सु सोमत्तण-जिय-ससिहि निय-पयाव-अहरिय-दिणिदह । दढ-विज्जा-वल-जुयह अंसुमालि-नामह खर्गिदह ॥ नाणा-विह-मणि-निम्मियइ धवलहरम्मि विमुक्कु । निद्दावगमिउ मंकडु व नियय-पलंवहु चुक्कु ॥
[१०८३]
अहह किं इहु सग्गु सुर-गिरि व सिविणो इव विभमु व इंदियालु इव किण-वि पयडिउ । जं तियसहं हरइ सिरि लोउ भवणु रयणेहिं सु-घडिउ ॥ कह तं नयरु सु धरणि-वइ मित्तु सु तं उज्जाणु । इय परिचिंतिरु कुमर-चरु पत्थुय-विहिहिं अ-याणु ॥
[१०८४]
असुमालिण खयर-नाहेण काराविय-सागइण महरिहम्मि आसणि निवेसिउ । ता पणमिवि महयरिण नहयरेण एगिण सुहासिउ ॥ जंपिउ जह - हरिनंदि-सुय वियसिय-कमल-दलच्छ ।
हउं किंचि-वि विण्णविसु तई इय अच्छलिउ पयच्छ ॥ १.८३. ५. सोउ.
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