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[१०७३
नेमिनाहचरिउ
[१०७३] अमर-नहयर-तरुणि-नियरेण गयणंगण-संठिइण साहिलासु निय-नयण-पुडइहि । पिज्जंत-लवणिम-सलिलु हम्ममाणु पणइणिहिं कुसुमिहि । हयगय-रह-भड-वल-भरिण जणिय-वसुह-संमद । चिंध-ज्झय-किकिणि-रविण दु-गुणिय-मंगल-सहु ॥
[१०७४] खयर-सुरवर-तरुण-नयणाण निय-रूविण हरिय-मउ दाण-विजिय-वण-मत्त-वारणु । अइरेण य तरुणि-यण- हियय-गरुय-संताव-कारणु । सिरि-अवराजिय-कुमर-वरु संपत्तउ उज्जाणि । तयणु कुणइ परमायरिण जणु निय-निय-कज्जाणि ॥
[१०७५]
के-वि मिगमय-अगुरु-घणसारसिरिखंड-पंकिण धरणिनाह-कुमर-रयणाण अंगई । आलिंपर्हि के-वि पुणु देति विविह-तरु-फलई चंगई ॥ कि-वि चंपय-मालइ-वउल- विचइल्लहं कुसुमाई । वियरहिं पयडहिं पण-तरुणि पुणु नई परमाइं॥
[१०७६] महुर-चच्चरि-गीय-झंकारपरिओसिय-किन्नरइं आलवंति गंधव-गीयई । परिविलसहि बहु-विहिहिं ठाणि ठाणि पुणु तरुण-मिहुणई ॥ पेक्खइ खणु निवइ वि विडिय- सोहुज्जाण-विभाग । ताल-तमाल-असोय-चूय- वउल-नाग-पुन्नाग ॥
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