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१०६४]
पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु
[१०६१]
अहह सुंदरु भणिउ तई वच्छ को अन्नु एरिसु चवइ इय वयंतु निवु सु-गुण-आयरु । सयलंगालिंगणिण चुंविऊण मुद्धम्मि सायरु ॥ उववेसेवि स-करयलिहिं निय-सीहासण-अद्धि । रंभ-नाम निय-धूय तसु वियरइ लग्गि विमुद्धि ।
[१०६२]
विमलवोहह पुणु महामच्चु मइसुंदर-नामु निय- धृय देइ ससिकंत-नामिय । ता निवइ-अमच्च-उवरोह-वसिण गुण-रयण-सामिय ॥ कित्तिय-मेत्त वि दियह तहिं थक्क ति दो-वि कुमार । इयरम्मि उ अवसरि निवह पुरउ भणण-विहि-सार ॥
[१०६३]
पाणि-संठिय-मंजु-सिंजंतभमरावलि-सामलिय- चलिय-कुसुम-सहयार-मंजरि। पसरंत-हरिमुल्लसिय- पुलय-भरिण रेहंत सिरुवरि ॥ विरइवि कर-संपुडु भणहि उज्जाणिय आगंतु । जह - पहु हरिसिय-भुवण-जणु संपइ पत्तु वसंतु ॥
[१०६४] ___ जमिह पसरिउ दइय-संगु व्य मलयानिलु अंग-सुहु पत्त-विहवु पुणु कुसुम-परिमलु । वारिज्जय-तूर-रव- रम्मु फुरिउ कलयंठि-कलयलु ॥ पउमारुण-कंकेल्लि-तरु- कुसुमई नयण-सुहाई । तवणिज्जुज्जल-कुसुम-भर हुय कोरिंट-वणाई॥ १०६२. २. क. मइंसुंदर. ७. क. थक्कि .
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