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[१०५७
नेमिनाहचरिउ [१०५७]
नाह नणु इहु धरणि-हरिणकहरिनंदि-नरवइ-तणउ भुवण-पयडु गुण-रयण-मंडणु । अवराजिय नामु जुव-राउ मुइय-पडिवक्ख-खंडणु ॥ तहिं मई तुम्ह पओयणिण गइण सु दिठ्ठ निरुत्तु । दिव्व-पओइण किण-वि इह नूण इयाणि पहुत्तु ॥
[१०५८]
ता विसेसिण फुरिय-संतोसपुलयंचिय-तणु-लयह वसुह-पहुहु तहिं पुच्छमाणह । लहु वइयरु परिकहिउ वित्थरेण हरिनंदि-तणयह ॥ मित्तिण सविह-टिइण तिण विमलवोह-नामेण । तयणु ईसि परितम्मिउण भणिउ धरणि-नाहेण ॥
[१०५९]
अहह पेच्छहु हय-पमायस्सु दुन्विलसिउ जमिह मह वंधु-अहिउ हरिनंदि-नरवरु । तसु नंदणु तुडि-वसिण पत्तु एत्थ जय-जंतु-मणहरु ।। मई पुणु अतिहि-सिरोमणिहि स-गिहागयह इमस्सु । संभासिण वि न विहिय क-वि पडिवत्ति वि कुमरस्सु ॥
[१०६०]
ता कुमारिण धरणि-विणिहित्तमुह-कमलिण भणिउ -- नणु देव तुम्हि मह जणय-सन्निह । पडिवत्ति तुम्हहं तणिय नृण गेल्भ ता माणसिय इह ।। वुज्झहिँ लुक्ख विहंग परि नेह-रहिय-दाणाउ। छेयहं वंधणु नत्तु पुणु सम्भाविय-वयणाउ ॥ १०५७. ३. पयड. ५. क. मुदइय. ६. क. नहिं.
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