SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०५६ ] पंचमभच अवराइयवुत्तंतु [१०५३] अदह एत्तिय- मेत्तु जणु एउ तुमए च्चिय नर- रयण जीवाविउ अज्जु धुवु इय जयंत निव-पवरओहलिउण चिंता - रयणु दढ पइण्ण एरिस कुणंतिण । भुवण-अहिय- सामत्थ- जुत्तिण ॥ वग्गि समग्गि वि सिन्धु । वंछिय - विहि- निव्विग्धु ॥ [१०५४ ] ते सलिलण झत्ति निव-घाउ अहिसिंचिव निय-करिहिं घरिसिऊण ओसहि वि सव्वि य । असिधेणु घायह उवरि देइ तयणु निवु तक्खण च्चिय ॥ सुत्त-विउद्धु व उडिउण अकय-च्छुरिय-पहारु इव मोडेविणु अंगाणि । जंपइ - नणु किमिमाणि ॥ [१०५५] विविध दीसहि बलि-विहाणाणि कह - वेत्ति जणु मिलिउ किह कलत्त रोयर्हि डुसक्कई । कह-व वेज्ज मेलिय झवक्कई ॥ कुवहु महा-पुरिसु इय जंपिरि नर-वरि खणिण फुरिय-विसाय- पमोय । विरइय-कर-संड कहहिं नरवइ उत्तिम लोय ॥ [१०५६ ] पुव्व-वइयरु सयल जाविमिण नर-रयणिण देव तुहुँ अत्थमिउ हुंतु जगु एत्थंतर नर-नायगह वियसिय-वयण - सरोरुहिण विण्णत्तउं सचिवेण ॥ Jain Education International 2010_05 विहिउ ज्यु अन्नह असेसहं । पहुहु विरहि एत्तियहं पुरिसहं ॥ पुरउ विवि एगेण । १०५६. ३. क. मज्झ अन्नहं. ३४ For Private & Personal Use Only २६५ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy