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________________ દo । १०३३ नेमिनाहचरिउ [१०३३] ता नमेविणु चलण-कमलाणि गिण्हेविणु सिक्ख वहु- भेय उत्तिमंगेण जणयह । छुह-तण्हाउंर-तणुहु पुरउ गंतु हरिनंदि-तणयह ।। निय-कर-पुडइण तस्समय-उचिय करिवि पडिवत्ति । अम्हिहि अवराजिउ नियउ भुवणभाणु पुरओ त्ति ॥ [१०३४] तयणु पिक्खिवि तस्सु तणु-कंति परिभाविवि रूव-सिरि मुणिवि पवर-लक्षण-समिद्धि वि । काराविवि देह-ठिइ कह-वि को-वि पत्थावु चिंतिवि ॥ जंपिउ खयराहिविण जह हउं तई किं-पि भणेसु । काउ अणुग्गहु मज्झ इहु दुहिय-जुयल परिणेसु ॥ [१०३५] किंतु महियल-निसिय-नयणेण दीहुण्हुस्सासस-वस सुसिय-अहर-पल्लविण कुमरिण । पडिउत्तरु किं पि न विइण्णु तयणु खयराहिराइण ॥ नणु सु-कुलीणु वि गुण-निहि वि सयल-नीइ-निउणो वि । वियरइ पडिउत्तरु किह न इय चिंतिरिण पुणो वि ॥ [१०३६] भणिउ - नंदण किं विस्रेसि निय-जणयहं नयरह व रज्ज-सिरिहि मुहि-सज्जणाण व । दूरयर-पहागमिण विरह-दुहिण निय-जणयगाण व ॥ इय निय-दुह कारणु तणय मज्झ पयाससु सिग्धु । दुह सज्झु जिम्ब कज्जु हउं तुह साहेमि अ-विग्घु ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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