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१०३२]
पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु
[१०२९]
निय-निउत्तय-नरिहि आयरिण नेमित्तिउ वाहरिवि करिवि गरुय-सक्कारु स-हरिम् । विज्जाहर-पह भणइ भद कहसु दहियाहं केरिसु ॥ को व हविस्सइ कंतु अह नेमित्तिइण स-तोसु । सम्मु निहालिवि भणिउ पहु तरणि व वियलिय-दोसु ॥
__ [१०३०
नियय-भुय-वल-दलिय-पडिवक्खु पणमंत-चिंता-रयणु ख्व-रिद्धि-हरिणच्छि-मणहरु । संपीणिय-मुहि-सयणु असम-विमल-कल-नियर-ससहरु ॥ सिरि-हरिनंदि-नराहिवइ- कुल-मंदिर-सिरि-केउ । सिरि-पियदंसण-देवि-तणु- संभवु महि-सुह-हेउ ।।
[१०३१]
दइउ हविहइ तुज्झ धूयाहं एत्थंतरि खयर-पहु भणइ - भद्द पुणरवि निवेयसु । अवराजिय-कुमरु किह पेक्खियव्वु अम्हेहिं सु-पुरिम् ॥ ता जंपिउ नेमित्तिइण पयडिय-पुरिसायारु । अत्थि पत्तु विंझाडइहि सिरि-हरिनंदि-कुमारु ॥
[१०३२]
तयणु नहयर-नाहु अ-विलंबु निय-दुहियउ दु-वि गहिवि गंतु विंझ-अडइहिं तहि-चि-वि । वेउविवि धवल-हरु संभवेइ जि न जगि कहि-चि-वि ॥ तिण तयणंतर पत्थुयह कज्ज-विहिहिं कय-लक्ख । पेसिय दु-वि सुय अम्हि रविकिरण-चंदकिरणक्ख ॥ १०३०. ३. क. अडहिं.
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