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नेमिनाहचरिउ [१०२५]
तयणु सस हर-उदइ जलहि व्व तरणिग्मि कमलायरु व महु-महम्मि सहयार-साहि व । सिहि-कुलु व घणागमणि चकवहि धरणियल-लाहि व।। पसरिय-हरिस-विसेस-वस- संपाविय-वित्थारु । भणइ सचिव-सुउ - अस्थि कहिं सिरि-हरिणंदि-कुमारु ॥
[१०२६]
तयणु नहयर-जुयलु साहेइ जह अम्हिहिं अन्न-जल- हेउ तुरिउ तह तई पउत्थइ । अवराजिय-कुमर-वरु हरिवि रविहिं आरूढि मत्थइ । तण्हा-छुह-अभिभूय-तणु निय तोसिय-भुवणस्सु । विज्जाहर-चक्काहिवह पुरउ भुवणभाणुस्सु ॥
[१०२७]
नणु न मह सुहि तियस-पहुणा वि हीरिजइ हढिण इय हरिउ इमिण किह खयर-जुयलिण । इय चिंतिरि-सचिव-सुइ भणइ इयरु - तिण खयर-नाहिण ॥ सिरि-वेयड्ढ-महा-गिरिहिं सिरिपुर-नयरि ठिएण । सुर-सन्निह नहयर-सहह निययह मज्झ-गएण ॥
[१०२८]
भुवण-निरुवम-रूवलंकार वर-लक्खण-सय-कलिय जाय-पढम-तारुण्ण-सुंदर । समहीय-ससंक-सम- गुण-कलाव धरणियल-मणहर ॥ कमलिणि-कुमुइणि-नामिउ य निय-धृयउ पेक्खेवि । नणु एयहं परिणयण-विहि- अवसरु त्ति लक्खेवि ॥
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