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१०२४]
पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु
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[१०२१] .
जं न साहहु मह अणाहस्सु विलवंतह सुहि-विरह. हरिय-मणह क-वि सुाद्ध कुमरह । इय विलविरु सचिव-सुउ पडइ झत्ति उच्छंगि वमुहह ।। कह-वि-हु चेयण-लवु लहि वि सिरि-हरिनंदि-कुमारु । सुमरिवि सुमरिवि विहुर-मणु विय लिय-मण-वावारु ।।
[१०२२]
पडइ उदृइ हसइ गाएइ अक्कंदइ दलइ उरु उद्ध-वाहु नच्चइ पहावइ । अप्फालइ वक्करिय . मिलिउ रिउण रणि वीरु नावइ ॥ इय वियलिय-चेयन्न-भरु ह-कह न वि चिट्टेइ । सचिव-तणूरुहु दुस्सहइ जायइ मित्त-विओइ ॥
[१०२३]
अह कह-चि-वि पत्त-चेयन्नु निय-मित्त-निरिक्षणह हेउ सयल धर परियडंतउ । विहि-जोइण नंदिउर- . नयर-चाहि उज्जाणि पत्तउ ।। तत्थ य चिंताउर-मणह दह दिहि जोवंतस्सु । पत्तु पुरउ नहयर-जुयलु सचिवाहिव-तणयस्सु ॥
[१०२४]
तयणु पभणिउ खयर-जुयलेण .... सचिवाहिव-सुय-रयण तुज्झ पुरउ पेसिय कुमारिण । अवराजिय-नामगिण धरणिनाह-हरिणंदि-तणइण ॥ ता पसिउण अम्हेहिं सहुँ चल्लसु तसु सविहम्मि । इय निमुणिवि हरिप्सिण सचिव-सुउ न माइ अंगम्मि । ३३
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