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________________ [१०१७ २५६ नेमिनाहचरिउ [१०१७] गमिरु कत्थ वि पुर-विसेसम्मि संपत्तु महाड विहिं तयणु तण्ह-छह-विहुर-विग्गहु । कय-पत्तल साह-सय- सुहय-चूय-तरु-तल-परिगहु॥ मुहि-कय-किसलय-सत्थरइ निवडिउ नीसाहारु । ता सचिवाहिव-अंगरुहु परिविमुक्क-सिक्कारु ॥ [१०१८] कुमर धीरउ होसु खणु एगु । एहु हउं वि समागयउ गहिवि अन्न-पाणाई तक्खणि । इय पभणिवि धाविउण गंतु सविह-गोउलिय-वासणि ॥ घेत्तु तहाविह-तस्समय- उचियाहार-जलाई । जाव पहुत्तउ ठाणि तहिं ता ति जि विडवि-दलाई ॥ [१०१९] नियई निय-करयलिण खिवियाई निय-मित्तह सत्थरइ न-उण कह-वि हरिनंदि-नंदणु । तयणंतरु - अहह कह गयउ मज्झ सुहि सत्तु-खंडणु ॥ अहव कि ठाणह भोलविउ केण-वि विहिहि वसेण । नासेविण व इहत्थि मह उवरि पणय-रोसेण ॥ [१०२० किं व को-वि हु मज्झ मइ-मोहु इहु अहव सु मज्झ मुहि हरिउ पुव्व-भव-रिउण केण-वि। परि एहु न सक्कियइ हरिउ किण-वि खयरिण सुरेण वि ॥ इय वण-देविउ कि न कहहु तमु मह मित्तह सुद्धि । दिसि-वालहु परमेसरहु तुम्हि वि किमिह कु-बुद्धि ।। Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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