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२०१६]
पंचमर्भाव अमराइयवुत्तंतु
[१०१३]
इय पयंपिर पउर- चउरंग
वल- पूरिय-गयणयल जणणि-जणय वालह कुढावइ । समुवागय तयणु तहं ससि-मुहीए निय कहिय आवइ || संपय विहु हरिनंदि-निव-नंदण-वस-उवलद्ध | तयतरु खयराहिविण स-पिययमिण सा मुद्ध ॥
[१०१४]
पुत्र-परिचिय - कुमर - रयणस्सु
अवराजिय-नाम यह हरिनंदिहि नंदणिण मोयाविउ सिरिसेण सुउ ता कुमरिण सविसेसयरु
[१०१५]
पत्ति अवसरि तुभि नियं-धूय
अप्पेज्जह मज्झ नियइय भणित्रि स- परियण त्रि विमलवोह - मित्तिण कलिउ
दिण्ण तयणु तत्थ वि विवाहिय । तयणु हत्थु पुट्ठि दवाविय ॥ खामिय-निय - अवराहु । अमिय सेण नरनाहु ॥
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ठाणि यह संतह समाणिवि । रयणमाल-सहिउ वि विसज्जिवि ॥ जा संचलिउ कुमारु ।
ता खयरिण तिण निय-रयणु ओसहि-जुउ जय - सारु ||
[१०१६]
तसु अणिच्छंतह वि कुमरस्तु
कह-कहमवि वंधिउण विमलोह - अंवरह अंचल । अवराजिय-पय नमिवि सूरकंतु उप्पइवि नहयलि । विहलिय-सयल-मणोरहु चि गयउ नियय-नयरम्मि | सिरि-अवराजिय- कुमरु पुणु सृहि- सहिउ वि अवरम्मि ||
१०१३. ७. वसु.
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