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________________ २५४ [१००९] अंगि लग्गउ अग्गि एईए निमग्गद्दि इय मणिण इय एय विडंविउग मई अग्गिज्य - नामगिण उवहणेउमारद्ध । जाता तई असरण - सरण- तिलइण रक्खिय मुद्ध || नेमिनाहafts चिंतिऊण सामरिसु पाविण । एत्थ चैव तिण सूरकंतिण ॥ [१०१०] तयणु पयडियलज्जु हरिनंदि समुह-निसिय-निय वयण - ससहरु । अंगुब्भवु महि-वलयजा चिट्ठा ता सचिव- सुउ कहेइ तसु मित्त-वइयरु || सि दुवेह - वि हूय अह वहल-हरिस- रोमंच | तयतरु ससिमुद्दि फुरिय गुरु-अणुराय-पवंच ॥ मा मं न पवज्जिहि हि तस्सु इहागमणु नत्थि अव भवियव्वयह इय कह-कहमवि संतविर [१०११] एस असरिस - गुण-समूहो ति Jain Education International 2010_05 १००९. ६. मई. क अगिज्झय. १०१०. ३. क. निमिय १०११. ५. क. ख. बिहुंरगु. इय फुरंत-भय- वेविरंगिय । इय विसाय विहुरंग चंगिय ॥ भुवणि अ-गोयरु किं-पि । विरह-विहरु - हिययं पि ॥ [१०१२] मलय- मारय-निहय-सयवत्तदल चवलिहिं विष्फुरियमई एस वि नियइ इय इय चिंता-भर-हरिय-मण रयणमाल हरिणच्छि । जा चि खणु एगु तर्हि ता - राय - अरुण निद्धेहिं नयणिहिं । हरिस-मरिण न समाइ धरणिहिं ॥ किं किं इहु वच्छ ॥ For Private & Personal Use Only १००९ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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