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[१००९] अंगि लग्गउ अग्गि एईए
निमग्गद्दि इय मणिण इय एय विडंविउग
मई अग्गिज्य - नामगिण उवहणेउमारद्ध । जाता तई असरण - सरण- तिलइण रक्खिय मुद्ध ||
नेमिनाहafts
चिंतिऊण सामरिसु पाविण । एत्थ चैव तिण सूरकंतिण ॥
[१०१०]
तयणु पयडियलज्जु हरिनंदि
समुह-निसिय-निय वयण - ससहरु ।
अंगुब्भवु महि-वलयजा चिट्ठा ता सचिव- सुउ कहेइ तसु मित्त-वइयरु || सि दुवेह - वि हूय अह वहल-हरिस- रोमंच | तयतरु ससिमुद्दि फुरिय गुरु-अणुराय-पवंच ॥
मा मं न पवज्जिहि हि तस्सु इहागमणु नत्थि अव भवियव्वयह इय कह-कहमवि संतविर
[१०११] एस असरिस - गुण-समूहो ति
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१००९. ६. मई. क अगिज्झय. १०१०. ३. क. निमिय १०११. ५. क. ख. बिहुंरगु.
इय फुरंत-भय- वेविरंगिय । इय विसाय विहुरंग चंगिय ॥ भुवणि अ-गोयरु किं-पि । विरह-विहरु - हिययं पि ॥
[१०१२] मलय- मारय-निहय-सयवत्तदल चवलिहिं विष्फुरियमई एस वि नियइ इय इय चिंता-भर-हरिय-मण रयणमाल हरिणच्छि ।
जा चि खणु एगु तर्हि ता
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राय - अरुण निद्धेहिं नयणिहिं । हरिस-मरिण न समाइ धरणिहिं ॥
किं किं इहु वच्छ ॥
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