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चउरंगिण निय-चलिण
नेमिनाहचरिउ
[१००१] विवि - विज्जावि-कय-सेवु
भविय-सयल-गयण-यल-मंडलु ।
निय - गहिरिम- परितुलिर- रयण - रासि भुय-वल-अखंडलु ॥
चिgs रयणीयर - विमलविज्जाहर - चक्का हिवर
वहु-गुण- रयण- निहाणु । अमिय सेण - अभिहाणु ||
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[१००२] निरुवम-सील - सिंगार
तस्सु
संसार- उत्तर- चरिय जणिय- सुयण आणंद-सुंदर । सव्वंग- सुलक्खणिय विष्फुरंत गुरु-गुण-मणोहर ॥ दइय जह- द्विय-नाम परिचि कित्तिमइति । तेसिं पुण एह धूय जह- नाम रयणमाल ति ।
[१००३]
अन-अक्सर निवइ- देवीण
नेमित्तिय माणविण कहिउ - सामि तुम्हाण धूयह । निय - सुकय- विवाग-परिविजिय-विजय - वट्ट ंत-विलयह ॥ सिरि- हरिनंदि-नरिंद-कुल- नहयल-सरय-दिनिंदु । पिययमु अवराजिय- कुमरु हविहइ विमल - कलिंदु ॥
[१००४]
तयणु तमु सुहचरिय-सरितस्तु
नर- रयणह विमल-गुण- गिज्जमाण खयरिंद - तरुणिहिं । निसुवणु फुरिय- अणुराय-रसहिं छण-इंदु-वयणिहिं ॥ एकह मणु न रमइ इयरि सुरवइ-समि वि नरम्मि । अह विविसि समागयइ अवसरि अन्नयरम्मि || १००२. ५. क. विफुरंत
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