SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 265
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५२ - चउरंगिण निय-चलिण नेमिनाहचरिउ [१००१] विवि - विज्जावि-कय-सेवु भविय-सयल-गयण-यल-मंडलु । निय - गहिरिम- परितुलिर- रयण - रासि भुय-वल-अखंडलु ॥ चिgs रयणीयर - विमलविज्जाहर - चक्का हिवर वहु-गुण- रयण- निहाणु । अमिय सेण - अभिहाणु || Jain Education International 2010_05 [१००२] निरुवम-सील - सिंगार तस्सु संसार- उत्तर- चरिय जणिय- सुयण आणंद-सुंदर । सव्वंग- सुलक्खणिय विष्फुरंत गुरु-गुण-मणोहर ॥ दइय जह- द्विय-नाम परिचि कित्तिमइति । तेसिं पुण एह धूय जह- नाम रयणमाल ति । [१००३] अन-अक्सर निवइ- देवीण नेमित्तिय माणविण कहिउ - सामि तुम्हाण धूयह । निय - सुकय- विवाग-परिविजिय-विजय - वट्ट ंत-विलयह ॥ सिरि- हरिनंदि-नरिंद-कुल- नहयल-सरय-दिनिंदु । पिययमु अवराजिय- कुमरु हविहइ विमल - कलिंदु ॥ [१००४] तयणु तमु सुहचरिय-सरितस्तु नर- रयणह विमल-गुण- गिज्जमाण खयरिंद - तरुणिहिं । निसुवणु फुरिय- अणुराय-रसहिं छण-इंदु-वयणिहिं ॥ एकह मणु न रमइ इयरि सुरवइ-समि वि नरम्मि । अह विविसि समागयइ अवसरि अन्नयरम्मि || १००२. ५. क. विफुरंत For Private & Personal Use Only [ १००१ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy