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________________ २४८ नेमिमाहचरिङ [९८५ ] तयणु गिरि-सर- सरिय-उज्जाण नराई अइकमिरु एगत्थ सुसाण-वण अहह अयंडि वि हृय महि मह सप्पुरिस - विहीण | अकय-पडिक्कय जमिह हउं अच्छउं विलविर दीण ॥ कमिण कुमरु दिव्वाणुहाविण । मझ पतु अह विहि-निओइण ॥ [९८६] इय सुणेविणु - अहह विलवंत Jain Education International 2010_05 महिला- यण- सहु इहु कह हूय अणाह इय जाव ति गच्छहिं नर- रयण अग्गिम-मग्गि तुरंत । ता चाउंड-भडारियह पुरउ करुणु विलवंत ॥ ता मए वि जीविरि वसुंधर । चिंतयंत अ क्खुहिय-पय-भर ॥ [९८७] रत्त यंदण - लित्त- सव्वंग चच्चिक्किय-मसि - रसिण खडिय-पंक-कय-रेह-भालय | वहल - रत्त-कणवीर-मालय ॥ गल - कंदल - परिलुटिरइसरे हयासि कु-वि अज्जु मरेसि अ-संधि | इय भणिरिण एगिण नरिण पगहिय-वीणा-वंधि || ९८६. क. ख. जोविर. ९८८. ३. क. परिगलिण. [९८८ ] नियय - जोव्वण-रूव- लायण्ण परिणिज्जिय-जय - तरुणि अवलोयहिं वाल इग तयणु कुमारिण भणिउ - अरि अरि नर- अहम हयास । कि न पेक्खसि इहि मंडिया तणा कर्यंत पास || मन्नु-भरिण परिगलिर-लोयण । भुवण-तरुण-नर-हियय-खोहण || For Private & Personal Use Only [ ९८५ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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