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नेमिमाहचरिङ
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तयणु गिरि-सर- सरिय-उज्जाण
नराई अइकमिरु
एगत्थ सुसाण-वण
अहह अयंडि वि हृय महि मह सप्पुरिस - विहीण | अकय-पडिक्कय जमिह हउं अच्छउं विलविर दीण ॥
कमिण कुमरु दिव्वाणुहाविण । मझ पतु अह विहि-निओइण ॥
[९८६]
इय सुणेविणु - अहह विलवंत
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महिला- यण- सहु इहु
कह हूय अणाह इय
जाव ति गच्छहिं नर- रयण अग्गिम-मग्गि तुरंत ।
ता चाउंड-भडारियह
पुरउ करुणु विलवंत ॥
ता मए वि जीविरि वसुंधर । चिंतयंत अ क्खुहिय-पय-भर ॥
[९८७]
रत्त यंदण - लित्त- सव्वंग
चच्चिक्किय-मसि - रसिण खडिय-पंक-कय-रेह-भालय | वहल - रत्त-कणवीर-मालय ॥
गल - कंदल - परिलुटिरइसरे हयासि कु-वि अज्जु मरेसि अ-संधि | इय भणिरिण एगिण नरिण पगहिय-वीणा-वंधि ||
९८६. क. ख. जोविर. ९८८. ३. क. परिगलिण.
[९८८ ]
नियय - जोव्वण-रूव- लायण्ण
परिणिज्जिय-जय - तरुणि अवलोयहिं वाल इग
तयणु कुमारिण भणिउ - अरि अरि नर- अहम हयास । कि न पेक्खसि इहि मंडिया तणा कर्यंत पास ||
मन्नु-भरिण परिगलिर-लोयण । भुवण-तरुण-नर-हियय-खोहण ||
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