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नेमिवाहचरिउ
[९७७] तयणु नरवइ-विहिय-सक्कार वियराविय-धवलहर पढम-दियहु अइगमहिं ते दु-वि । वीयम्मि उ दियहि दिण- उदइ निवइ-सचिबिंदु आविवि ॥ भणइ- महा-यस नर-वरिण पहियउ हउं तुह पासि । तयणु पयंपइ कुमरु - सचिवाहिव कज्जु पयासि ॥
[९७८] किमिह किंचि वि दुग्गु साहेमि सीमाल व के-वि निव अ-पणमंत पहु-पइहि पाडउं । पडिरुंधहुं रिउ-वलु व समुहु एंतु वइरु व निहोडउं । अह व किमन्त्रिण पहु-पयहं जायउं किंपि जु कज्जु । तं साहसु सचिविंद लहु जह करेमि हउं अज्जु ।
[९७९]
अह वियासिय-वयण-कमलेण सचिर्विदिण वज्जरिउ कुमर-रयण तुहुं एत्थ जझ्यहं । संपत्तउ सयल-गुण- रयण-रासि मह पहुहु तइयहं ॥ सिद्धई दुह-सज्झई वि लहु नीसेसई कज्जाइं । तह वि हु निसुणसु जाइं तुह चिट्ठहिं कहियव्वाई ॥
[९८० तहा हि -
अस्थि निवइहि पवर-देवीए कणयावलि-नामियहि विमल-सयल-गुण-रयण-मंडिय । संपिडिय-सयल-कल सविह-ठिइण गुरु-यणिण-वड्ढिय ॥ जणणी-जणय-सबंधु-सहि- सयणहं हियय-निहाण । चिट्ठइ कन्न स-उण्ण-सिरि कणयस्सिरि-अभिहाण ।। ९७७. Lines 2 to 7 are missing in ख.
९७९.८. तुहु.
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