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नेमिनाहचरिउ
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जा सुकोसल-निवह स-बलस्सु सविहम्मि समागयह असिण दलिउ बहु-बलु खणद्धिण । ता सचिविण विमलमइ- नामगेण परिकलिय-तत्तिण ॥ भणिउ सुकोसल-नरवइहि सवण-पएसि हवेउ । जह – पहु सिरि-हरिनंदि-वसुहाहिराय-कुल-केउ ।
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तुम्ह कज्जिण गइण सीहउरि हरिनंदि-निवइहि पुरउ मई कुमारु एहु बहु-निरिक्खिउ । अवराजिय-नाम-फुड सयल-कलहं गोयरि सु-सिक्खिउ ॥ तयणु स्वणद्धिण नर-वरिण हुय-पच्छुत्तावेण ।। आण फिराविय सयलि वलि नियय-पवर-पुरिसेण ॥
[९७१] अह कुमारह हस्थि निय-करिण संजोइवि साणुणउ कुमर-रयणु उच्छंगि घेप्पिणु । सलत्तु नराहिविण
जह - अ-कज्जु केरिसु करिप्पिणु ॥ धिसि घिसि अ-जसु विढत्तु मई चंद-महीयल जाम्ब । जं हरिनंदि-नराहिवइ वधु-सरिसु एगु ताम्व ॥
[९७२] अन्नु तमु कुल-गयण-हरिशंकु नीसेस-कला-निलउ असम-विरिय-परिविजिय-पर-वल । ससि-निम्मल-गुण-रयण- सरिय-रमणु असरण्ण-वच्छलु ।। एगागि च्चिय विहि-वसिण पत्तउ स-पुरुज्जाणि । तुहं तसु मई पडिवत्ति कय एह एरिसय-नियाणि ॥ ९६९. ५. क. हदेउ. ९५०. १. क. गयण; खे. इंगण.
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