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९६० ]
पंचमभवि अवराइय वृत्तंतु
[९५७ ]
अह कुमारिण भणिउ - नणु जेम्व
चविज्जहिं चणय जणि जिम्ब वे पहिं सुणय करि जिम्व कलियइ कंदुगु करिण तिम्व न कणय - गिरि-नाहु | तिम्व न सु-जलहि- पवाहु ॥
जेम्व तरिज्जइ गाम-सरु
[९५८]
जिम्व विसिय विविह एरिसय साविवि तुभेर्हि घेप्पइ ।
पडे विणु इयर - जणु
तिम्ब अम्ह सरणावडिउ सुहिण एहु निय-करि न खिप्पइ || ता उब्भिवि एय-ग्गहण - मणु माणु वि घरि जाउ । माउण सीह- किसोर - मुहु धरिसिवि करिह विसाउ ||
[९५९]
अह पयपहिं किंचि सासंक
आरक्खिय-सुहड नणु जं अम्हई सयल-पुरइय दुन्नय-सय-करण - रुइ नूण पराइय एह कलि
तिम्ब न किण वि चव्वियहिं मिरियई । तिम्व न पंचवयणहं वि पोयई ||
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राय उत्त किं तुब्भ खेइण । घर मुसिय पावेण एइण ॥ एहु समप्पसु एहि । मुहिण सुहड म गहि ||
[९६०]
aणु सुर - गिरि - सिहर - थिरु कुमरु
विसेवि
समुल्लवइ अहह तुम्ह विष्णाण - पगरिसु । जं दुन्नय-परु जि पर- सरणु लेइ नरु विसमि एरिस || atus कलित्र पराइय जि मुहिइण न उ मुल्लेण । इय जुति-क्खमु निच्छिउण निय-मइ-कोसल्लेण ॥
९६० ८. क. निच्छिऊण
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