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९४४ ]
अवि य
पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु
[९४१]
हट्ट कुट्टिम-विवणि-पासाय
वायायण- तल- मिलिय हलि पेक्खड पेक्खहु-न
आवइ आइउ जाइ गउ तरुणी - यण-मण-वल्लहउ
[९४२]
इयर पभणइ - तुह पसाएण
मई दिउ भइणि इहु परिवण्णउं तसु जि परजा एरिसि वच्छयलि गुरु- नयर-पउलि-विसालि । विवरिय रय परिसंत-तणु खणु वीसमइ पियालि ॥
जt पिय-सहि एहु तुह
राय - विदुर कुल विलय जपहिं । एहि अंगु किमलीउ कंपहिं ॥ इहु हु हु हु ति । अवराजिय कुमरुति ॥
[९४३]
ईसि विहसिवि भणइ अह अन्न
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वावारहं सयलहं वि पुर-तरुणिहिं विविह-मणपेक्खंत परिचेट्टियां विवि - विणोर्हि ललइ पुरि
विजय कुसुम - कम्मुय - मडप्फरु | सुंदरी सोहग्ग - वित्थरु ||
अह कर-यल-ताल-रव
इय तुहुं कहमवि एहु महा- सोहग्गिड संपाडि । सहि लक्खण निलाडि ॥
परमम्हहं कह एरिसई
९४२. ८ क. तिचरिय. ९४३. ३. क. तुहं.
मेलाम ता किं पयच्छहि । पुच्वु भणइ सवि तुहुं ज मग्गहि ॥
[९४४]
इय समुज्झिय-निय - निय-सेस
तिब्व-राय- विहरिय- सरीरहं । वयण- काय-गय-किरिय-पसरहं ॥ विम्हिय-मण- वावारु । सिरि- हरिनंदि-कुमारु ॥
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