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________________ ।९३७ २३६ नेमिनाहचरिउ [९३७] तयणु पमुइय सुयण नीसेस सुहडा वि कय-किच्च हुय वुह कयत्थु मन्नहि स-जीविउ । पडिवक्खिय उत्तसिय सयण वसहि महियलु सुहाविउ ।। वग्गहिं मागह जियहिं नड विलसहिं वेस स-तोस । रिउ-तरुणि वि गायर्हि तसु जि गुण-गणु ववगय-रोस॥ . [९३८] जम्मि चलियइ चारु-चउरंगवल-पूरिय-धरणियलि विहिय-अंग-सिंगार-मणहरि । मयणाउर-हियय लहु कुणइ सयल-पुर-पवर-सुंदरि ।। मंडणु भाल-यलहं तणउं का-वि कवोल-पएसि । क-वि कुंडलु कामह करिण गेण्हइ चलणह रेसि ॥ [९३९] खिवइ नेउरु का-वि सवणम्मि क-वि हारु कवरिहिं भँवइ का-वि देइ अंजणु उर-त्थलि । क-वि नियसणु पावरिवि उत्तरीउ परिहइ स-भिंभलि ॥ क-वि अंवोडउ भाल-यलि विणिवेसेइ विसालु । क-वि कूवह तडि घडु मुइवि मज्झि निवोलइ वालु ॥ [९४०] का-वि कामिणि तणय-वुद्धीए मज्जारु कडि-यडि करिवि समुह एंत भुवणु वि हसावइ । क-वि कुमर-मुहंदुरुहु निरु नियंत अणुराउ दावइ ॥ जिभायइ क-वि का-वि पुणु छोडइ केस-कलावु । मोडइ अंगई का-वि क-वि पयडइ महुरालावु ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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