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________________ [ ९२९ २३४ नेमिनाहचरिउ तओ य [९२९] कप्प-विडवि व अमय-संसित्तु सरयागम-जणिय-गुरु- तेय-पसरु छण-रयणि-रमणु व । ससि-उदइण लहरि-भर- विहिय-सोहु रयणायरो विव ॥ तणय-रयण-जम्मिण मुणिरु कय-किच्चउं अप्पाणु । देइ पियंवय-दासियहि सत्त-वेणि पिइ-दाणु ॥ [९३०] तयणु सज्जण-जणिय-संतोसु आणंदिय-भिच्चयणु नयर-नारि-नर-नियर रंजणु । आराहिय-देव-गुरु- पाय-पउमु पडिवक्ख-गंजणु ॥ उवरोहिय-नर-कारविय- सति-विहिण विहवेण । काराविउ बद्धावणउं सयलहं महिहिं निवेण ॥ [९३१] अह अणुक्कमु कीरमाणेहि सयलेहिं वि पढम-सुय- रयण जम्म-उचिएहिं कम्मिहि । संपत्ति एक्कारसमि दियहि समगु सुहि-सयण-सम्मिहि । अवराजिय इय विस्सुयउं अणुसुमरिय-सिविणेहि । नामु विइण्णु महा-महिण सुयह जणणि-जणगेहिं ॥ [९३२] तयणु पमुइय सयल-धरणि-यलमुहि-सज्जण भिच्चयण कुमर-रयण-अभिहाणु निसुणिवि । अवलोइवि रूव-वर- लक्खणइदु पुलइयउ पिसणु वि ।। अवराजिय-कुमरो वि जह- भणिय-गुणोलि-सहीहि । लालिज्जतउ उत्तिमहिं पंचहि कुल-धाईहिं॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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