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नेमिनाहचरिउ
[ ९२४
अह नराहिवु देवि सच्चविउ उवसाहइ तहं सिविणु ते वि सिविण-सच्चत्थु चितिवि । उवसाहहिं सु ज्जि पर निवु वइठु मुविणत्थु मंतिवि ॥ तयणु पहिट्ठिण नरवरिण ते सक्कारिय संत । निय-निय-ठाणि पहुत्त गुरु हरिस-भरिण रेत ॥
[९२२]
ता नरिंदिण कहिय-वुत्तंत पियदसण गुरु-हरिस- रोमराइ-रेहंत-अंगिय । परिवालइ गम्भु सविसेस- फुरिय-तणु-कंति-चंगिय ।। कम-जोगेण यससि-जुयल- विमल-कवोल-मऊह । नं निय-जस-कप्पूर-रय- परिधूसर मुह-सोह ॥
[९२३]
वयणि पसरहिं वहल-जिंभाउ उयर-ट्ठिय-सुय-रयण- दसणत्यु नं विहि वियासिय । सिढिलायहि अंग पय नं विइण्ण लज्जावयासिय ॥ उयर-नियंव-त्थल वयहि बुड्ढिहिं अणु-दियई पि । इय ईसाइय इव ति-बलि एग पत्त विलयं पि ॥
[९२४]
जच्च-कंचण-कलस-सरिसा वि हुय फालिह-कुंभ-सम नं सु-पुत्त-सुह-अमय-धवलिय । वर-वारण-कुंभ-थिर- थोर-तुंगतर-सिहिण-जुयलिय ॥ ता स निरंतर परिहरइ दूरिण गम्भायासु ।। धम्मिय-कम्म-विसेसं वि निरु वियरइ अवयासु ॥ ९२१. ३. क. सच्छत्थु ९. क. तरिण ९२३. ४. क. ढिवायहिं,
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