SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [९१६ नेमिनाहचरिउ [९१३] तियस-गिरिवर-दिसिहि पच्छिमहं जिण-केवलि-पय-पउमः रयण-सुहय-सुमहाविदेहह । तिलयम्मि सुपम्ह इय नामि विजइ चुज्ज-यरि भुवणह ॥ सिहरि व पसरिय-गय-कलहु विण्हु व सिरिहिं समिद्ध । आसि नयर इंदउर-समु सीहउरु ति पसिद्ध ॥ [९१४] चंद-सेहरु जो अमूली वि मय-रहिउ वि अ-जल-निहि परमहेल-सुहउ वि सु सीलउ । हय-दोसु बि सिसिर-करु दार-विणु वि स-कलत्त-लीलउ ॥ सुत्तालंकारो वि कय- सव्वंगिय-सिंगारु । हरिनंदि ति नरिंदु तर्हि आसि वसुंधर-सारु ॥ [९१५] चित्त-मंगल वि वुह-कइ-जेट सवणाविह सोम-गुण मित्त-मुहय सु-विसाह-हत्थिय । सु-स्सवण सु-तार-वर- कित्ति गयण-लच्छि व पसत्थिय । दइय आसि तसु नरवइहि गुरु-गुण-रयण-निहाण । जय-समहिय-सिंगार-धर पियदंसण-अभिहाण ॥ [९१६] तेसि असरिस-विसय-सुह-सित्तसव्वंगह चंग-चउ . रंग-सेन्न-साहिय-विवक्खहं । दोगुंदुग-तियसहं व जाइ कालु पसरंत सुक्खहं ।। अन्नम्मि उ अवसरि निसिहि सुह-सयणम्मि पसुत्त । सिविणंतरि नरवइ-दइय निरुवम-सुह-संजुत्त ॥ ९१३. ५. क. परि. ९१४. २. क. मयरहउ. ४ क. सिरिरु. ५. क. दारु. ९१६. ९. क. सुजुत्तु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy