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निय बंधुहिं परियरिउ
[९०७] तेहि मणगइ-चवलगइ-नाम
हु
यहि परिवारिउ गरुयर - सिरिण सिरि- दमवर - अभिहाण यहं
वंदे विणु मुणि-वरह उचियासणि उवविसइ तणु मुर्णिदिण धम्म- कह पारद्धिय तह चित्तगइ
नेमिनाहचरिउ
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[९०८] अह जिणिदह भणिय- नीईए
सहिउ रयण-पदेविहिं । खयर-राय- सामंत-सचिविहिं ॥ वहु-गुण-मणि- भूरीण | पत्तु पुरउ सूरीण ॥
arita चित्तग जह वियरसु चरणु मह नित्थारसु एए वि मह चरण- रयण - वियरणिण पहु
पाय- पउम रोमंच-अंचिउ । पाणि- पुडउ भाल - यलि संठिउ ॥ भव- निव्वेय- पहाण | खयराहिव-पमुहाण ॥
[९०९]
ता विसेसिण जाय भव- विरइ
भइ पुरउ मुणिवरहं पायहं । तह दुवे मवि मज्झ भायहं || पिययम- सुहि-सयणोह | पयडिय - सिव- सुह- वोह ||
[९१०]
अहद सुंदर जुत्तु जुत्तु त्ति
माकुणसु लिंबु इय चारितु विष्णु त आराहइ गुरु-पय- पउम अवगाहइ सुय रयण-निहि मणि भावण भावेइ ||
९०७. ६. क. सिण.
भणिवि तेण मुणि-वरिण तक्खणि । तयणु चित्तगइ मुणि वियक्खणु ॥ चरण-करण सेवेइ |
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