SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८८] तझ्यभवि चित्तगइबुतंतु २२ [८८५] गोत्त-खलणिण किंचि स-विलक्खु अणुणेइ जावेग पिय तावराए ढंढरिण नडियइ । वाहुल्लई लोयणइं परिमुसंतु इयराए परियइ ॥ सा वि हु तिण उप्पलिण हय उर-यलि तमु वि पडेइ । हुँ हुँ मई मेल्लिवि रमसि एह इय अन्नयर भणेइ ॥ [८८६] अरिरि पिययम जाइ एहु मीणु इय जंपिर का वि तमु वाह धरइ उर-यलिण भीडिवि । क वि सुहय किमेउ इय भणिर क्लग्ग तसु अंगि धाविवि ।। इयरु वि निद्ध-निरिक्खणिहिं इग संभावइ जाव । ईसा-उड्डंडुर-मुहिहिं वहुहि तविज्जइ ताव ॥ [८८७] सलिल-कीलहिं एण्हि पज्जतु अरि भाउय चलहु जिह नियय-ठाणि गम्मइ य जंपिरु । खयराहिवु चित्तगइ जिह सणिउ सणिउ पच्छहु विसप्पिरु ॥ सारिउ तयारु व करिण कइढइ कवि तरुणीउ । जा ता सु जि गंभीर-जलि छुहहिं पोढ-रमणीउ ॥ [८८८] सलिल-कीलहं सुइरु इय ललिवि कुल-वालिय-सइहिं सहूं लहिवि हियय-संतोमु अ-सरिसु । नणु सासय-जिण थुणिवि एण्हि करहुं निय-पुण्ण-पगरिसु ॥ इय चिंतंतउ चित्तगइ निय-परिवार-समेंउ । पसरिय-परिमल-महरिहई कुसुम-फलाइं गहेउ । ८८७. ५. क. तरुणीमो. ९. क. रयणीओ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy