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नेमिनाहचरित
[८८१] जं च तरुवर-सिहर-गय-विहयकुल-कोलाहल-रविण पहिय-नियरु निरु वाहरेइ छ । कलहंस-सारस-सहस- कूजिएहिं फुडु गायए इच। आलिंगइ इव उल्लसिय- लहरि-वाहु-लइयाहिं । हसइ व वियसिय-मुह-सरिस- सरस-कमल-मालाहिं।।
[८८२] भमिर-महुयर-महुर-झंकारपसरेण संसहइ व नच्चद व्व वण-लय-करग्गिहि । जोयइ इव मिउ-पवण- निहय-कमल-दल-नयण-भंगिहिं ।। पढइ व सुय-सारिस-रविण रमइ व सह मीणेहिं । तूसइ इव मज्जंत-सुर- खयर-मयच्छि-थणेहि ॥
[८८३] अवि य पसरिय-पउर-कल्लोलु विरसंत-सारस-सहमु चक्कवाय-कलहंस-सुंदरु । परिवियसिय-कमल-वणु भमिर-भमर-झंकार-मणहरु ।। तिर-हिय-तरु-नियर-फल- कुसुम-भार-सुंदेरु । मज्जिर-हरि-करि-हरिण-सुर- खारहिं कहिय-अमेरु ॥
[८८४] तमि जलनिहि-पत्त-वित्यारि सिरि-माणस-सरि खयर- चक्कवट्टि चित्तगइ स-हरिसु । निय-अंतेउरिहिं सहु मज्जमाणु सुहु लहइ असरिसु ।। अवगृढउ सामंगियए तरुणिहि कंचण-वण्णु । नं पाउस घण-मालियए सुर-गिरि-कय-लायण्षु ॥ ८८३. २. क. विलसत.
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