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८७२]
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तथभघि चित्तगइवुत्तंतु
[८६९] तयणु नहयर-नाहु निव्वंधि सह ताहि वि धवलहरि पविसमाणु वियसंत-लोयणु । अवलोयइ सरय-ससि- मुहिउ ताउ परिविम्हियाणणु ॥ अह नणु अछिवंतेण इव करिहिं विहिण घडियाउ । इहि तरुणिउ अन्नह किह णु एयारिस-सोहाउ ॥
[८७०]
रूव-जोव्वण-विणय-विष्णाणसिंगार-विलास-रइ- हाव-भाव-विभम कहेरिस । संजायहिं सुर-असुर- कामिमिहिं वि एईण जारिस । इय किह पुण्णहं विणु घडहिं एरिस तिय जिय-लोइ । ता सो चेव कयत्थु जगि जो एयहं पिउ होइ॥
[८७१] इय विचिंतिरु चित्तगइ खयरचक्काहिवु नह-यलहं उत्तरंतु सच्चविउ ताहिं वि । सहस-त्ति य फुरिय-अणु राय-विहुर-हिययहिं सचाहिं वि ॥ एत्यंतरि चक्काहिवह परिवारिण संलत्तु । तह तह पक्खहं दुर्हि वि परियाणिवि मण-बुत्तंतु ॥
[८७२]
सरिय-सलिलहं ठाणु जह जलहि जह जुण्हह रयणि-यह जेम्व गयणु तारय-सम्रहह । जह माणसु कमलिणिहि पउम-संडु जह भमर-नियरह ।। तह पहु दइयत्तिण उचिउ मुरु-गुण-रयण-महीण ॥ सव्वासि पि नियंविणिहिं एयहं पउम-मुहीण ॥ ८७२. १. क. कमलणिहि ८६९. क. ७. घडियाओ; ८. क. तरुणिओ. ९. क. सोहाभो. ८७१. २. क. नहयल,
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