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नेमिनाहचरिउ [८६५]
इहु मुणेविणु सयल परमत्थु सु-विवेयालंकियहं दाउ न खमु अवयासु सोयह । न य भवियहं अवसरु वि उभय-लोय-दुह-वाल-मरणह ॥ ता उज्झेवि विसाय-भरु गच्छह निय-निय-ठाणि । इय जंपंतइ चितगइ- खयराहिवइ-पहाणि ॥
[८६६]
अहह जोव्वणु वपु रि लायण्णु कट वयण-निवेसु हुँ हुँ भुवण-अहिय-तणु-तेय-चंगिम । वपु उचिय-पवित्ति जय- जंतु-सुहय अरि का वि तुगिम ॥ मरहुं मरहुं सुचरियह वलि वलि सील-सिरिस्सु । इय जइ पांवडं' इहु जि वरु ता फलु लिहुँ स-जियस्सु ॥
[८६७]
इय विचिंतिर किंचि-परिगलिरस-सहोयर-मरण-दुह फुरिय-गरुय-अणुराय-विहुरिय । परिजंपहिं खयर-पहु- पुरउ दु वि ति खयरिंद-कुमरिय ॥
जइ तुहुं पणय-प्षिय सुहय अम्ह अणाहहं नाहु । हवहि मुयहुं ता अम्हि इहु मरण-विहिहिं असगाहु ॥
[८६८]
तह इमंमि वि धवल-हरयंमि चिट्ठतिहि जिय-रइहिं ति-जय-तरुण-मण-रयण-हरणिहिं । संपाविय वि स-विसम- दसह सयहं पंचण्ह तरुणिहिं ॥ निय-चयणामय-वियरणिण जई कुणसि परिताणु । ता मन्नहिं ति वि वप्पुडिय कय-किच्चङ अप्पाणु ॥
८६७. ५. क. पुरओ,
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