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________________ ११८ नेमिनाहचरिउ [८६५] इहु मुणेविणु सयल परमत्थु सु-विवेयालंकियहं दाउ न खमु अवयासु सोयह । न य भवियहं अवसरु वि उभय-लोय-दुह-वाल-मरणह ॥ ता उज्झेवि विसाय-भरु गच्छह निय-निय-ठाणि । इय जंपंतइ चितगइ- खयराहिवइ-पहाणि ॥ [८६६] अहह जोव्वणु वपु रि लायण्णु कट वयण-निवेसु हुँ हुँ भुवण-अहिय-तणु-तेय-चंगिम । वपु उचिय-पवित्ति जय- जंतु-सुहय अरि का वि तुगिम ॥ मरहुं मरहुं सुचरियह वलि वलि सील-सिरिस्सु । इय जइ पांवडं' इहु जि वरु ता फलु लिहुँ स-जियस्सु ॥ [८६७] इय विचिंतिर किंचि-परिगलिरस-सहोयर-मरण-दुह फुरिय-गरुय-अणुराय-विहुरिय । परिजंपहिं खयर-पहु- पुरउ दु वि ति खयरिंद-कुमरिय ॥ जइ तुहुं पणय-प्षिय सुहय अम्ह अणाहहं नाहु । हवहि मुयहुं ता अम्हि इहु मरण-विहिहिं असगाहु ॥ [८६८] तह इमंमि वि धवल-हरयंमि चिट्ठतिहि जिय-रइहिं ति-जय-तरुण-मण-रयण-हरणिहिं । संपाविय वि स-विसम- दसह सयहं पंचण्ह तरुणिहिं ॥ निय-चयणामय-वियरणिण जई कुणसि परिताणु । ता मन्नहिं ति वि वप्पुडिय कय-किच्चङ अप्पाणु ॥ ८६७. ५. क. पुरओ, ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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