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नेमिनाहचरिउ
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एत्थ-अंतरि निवइ विण्णत्तु आगंतु सव्वायरिण परम-विणय-पणमंत-सीसिहिं। कर-संपुडु सिरि धरिवि होउ पुरउ निव-पवर-पुरिसिहि । वद्धाविज्जसि नाह तुहुँ पीवर-धण-लाहेण कुंजर-तुरय-समागमिण रिउ-निव-विजय-महेण ॥
[३६] जमिह कंचण-रुप्प-माणिक्कमुत्ता-मणि-असम-सिरिखंड-तंव-विदुम-कथूरिय कालागुरु-पमुह-वर- वत्थु-सत्थ-भंडार-पूरिय । तुह दंडाहिव-रण-विजिय- अप्प-णमिर-निवईहिं । पेसिय पहु वहु-करि-तुरय- रयण विणय-पणईहि ॥
[३७] अह वियासिय-नयण-कमल-दलु पफुल्ल-वयणवुरुहु बहल-हरिस-रोमंच-अंचिउ । परिचिंतइ धरणि-पहु अहह पुव्व-भव-पुण्ण-संचिउ । होही को वि महंगरुहु जो तसु. धण-अमिहाणु । दायव्यउं मई वित्थरिण जय-पयडिय-सम्माणु ॥
[३८] काल-जोगिण गब्भि वड्हति ससि-जुयल-समाण-पह हुय कवोल नं स-जस-धवलिय । मरगय-मणि-पिहिय-मुह फलिह-रयणमय-कलस-जुयलिय । तहिं अवसरि अहरीकुणहिं थोर-थिर-स्थण-वट्ठ । नं कप्पूर-सलाय-रय- पसरंजलि-परिघट्ट ॥ ३५. ३. परमेत. १. धरि left out. ३६. ६. दंराहिव. ८. वहु left out. ३७. २ क. कमलदलनयणु. २. पप्फुल्ल.
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