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पढमभवि धणवुत्तंतु
[३१]
तह समुस्सिय- हरिस - पुलएण
देवी विहु परिणिवि गरुयादिण धरणि यलि उदय-दसा-गय- सहसकर
निय-देविहि धारिणिहि कहिउ सयलु पुव्वुत्तु वइयरु | निवइ-वयणु जय-जंतु -सुहरु । कह विन माइ न ठाइ । पुच्व-दिसि व्व विभाइ ॥
३४ ]
[३२]
तह पयट्टइ गग्भ- निव्विग्ध
परिबुढि उज्जय-हियय आराहइ देव-गुरुकारावर महि-यलि सयलि arras अणवरयमवि
सयल - विहिण वेज्जोवइट्टिण । पाय- पउम विणण जेट्टिण । साहम्मिय - सम्माणु | दाणा दा ||
[३३]
नविय भुंजइ कह वि अइ-निड
अ- तित्तु वि परिहरइ करि वंधइ ओसहिउ
मिउ बोल्लइ थिरु चंकमइ वज्जइ गन्भायासु कहमवि पावारंभह वि न पयच्छइ अवयासु ॥
नाइ - उण्हु न य सिसिरु सेवइ । मुयइ उचिय-कम्मई न केम्बई ।
[३४]
तह नराहिवु तणय-मुह-कमल
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अवलोयण- सुह-तिसिउ कुणt पियह दोहलय - पूरणु । परिसीलाइ देव-गुरु स-कुल एवि अभिहाण - सुमरणु । उसावर आयरिण सयल - महिहिं अम-घाउ | मोयावर चारय-भवणि रूद्र-लोय - संघाउ ॥
३२. ३. सहल.
३३. ३. उन्ह न य सिसिर ४ घंधइ उसहिउ ५. केम्बइ.
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