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[२७] तयणु उठिविविहिय-नीसेसपाहाउय-कम्म-विहि दिण्ण-सव्वअवसरु महामइ । अत्थाणियमुवविसिवि विहिय-चारु-सिंगारु नरवइ । सिविण-वियाणय सयल नर सदावइ साणंदु । ते वि मुयंता हरिस-भर- नयण-सलिल-नीसंदु ॥
[२८]
पत्त तक्खणि पुरउ रायस्सु करयल-कय-कुसुम-फल ललिय-वयण-विण्णाण-सुंदर । वहु-सउणुवइह-सुह- लाह-गरिम-परितुलिय-मंदर तयणु नराहिव-कारविय- गुरु-सक्कार-पहिट झत्ति नरिंदिण दावियइ पवरासणि उवविट्ठ ॥
[२९] अह नरेसरु दइय-सच्चवियसिविणत्थु पुच्छइ पुरउ तेसि विणय-पणमंत-कायहं सामन्निण ते वि तमु कहहिं देव तुह थोव-दियहहं । मज्झि हविस्सइ सुय-रयणु पसरिय-निरुवम-तेउ । अरि-तरु-मूलद्धरण-खमु पणइ-लोय-सुह-हेउ ॥
[३०]
नवम-वारहं कुसुम-फल-रिद्धि जं जाय अंव-दुमह तं तु संसु अम्हि वि न-याण । एसो विहु को बि पुणु फल-विसेसु होसइ पहाणउं तयणु नरिंदिण सायरिण एवमिमं ति भणेवि । सिविण-वियक्खण मोक्कलिय बहु पडिवत्ति करेवि ॥ २७. ७. सद्दनेइ. २८. २. The portion of the folio of क containing line ३ is ___lost. ७. सकर. ३०. १. विद्धि. ३. वि न यापाण.
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