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________________ [२३] नवम - वारहं कुसुम-फल-भार भज्जंत-साहा-सहस्र नाणा विह-राय-सुय लोयालोय - परिष्फुरिय हु उ महद्दुमु तिरिय-नर- तियसासुर - सुह- हेउ ॥ पत्त - रिद्धि-जय-जंतु - मणहरु । विहिय से तरु-नियर-सुंदरु | पुहइ-नियंविणि केउ । [२४] अह समुट्ठिवि हरिस-दिणईंद विय संत वयणं बुरुह विक्कमण-नरवइहि निउणु समग्गु वि सिविणु एहु कर- संपुडु मत्थइ धरिवि सामन्निण ताव एहु फुड होसइ कोवि सुयइय साहिउ ससि वयणि तुह सिमिण - वियाणय नर इयरु [२५] अह नराहिवु भणइ साणंदु सद्धम्म धम्मिय - कहहिं गुरु हरिसामय-र सिण Jain Education International 2010_05 वहल-पुलय पष्फुल्ल- लोयण । पुरउ गंतु पसरंत जोव्वण | निय-मणि अवधारेवि । साइ धारिणि देवि ॥ हउं मुणेमि जह तुज्झ सुंदरि । रयणु दाण-परिविजिय-मय-करि । मई सिविणहं उद्देसु । जइ जाणिसर्हि विसे ॥ [२६] इय परोपरु दोवि जंपंत गमर्हि रयणि नीसेस सेस वि । भरहिं वसुह-सयलप्पएस वि । सवण - जणिय- पडिवोह । अह पाहाउय तूर -रव सिविण रयण- उबदं सणिण दुगुणीकय-सुह-सोह ॥ २२. ६. भिवणीमि. २३. २. स्साहा. ५. क. नियरु. ६. लोय for लोयालोय. ८-९. तिरियसासुर. २४. १. दिणईद. २४. २. क. वयवुरुह. ६. मुरउ. ८. सेमुड. २५. २ क इहु. ३. मुणिमि. ७ क मइ सुविणहं. २६. १. य परोप्पारु; क. जंपतु. ३. नीसेसे. ६. क. प्पएसु. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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