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________________ २१४ [८४९ ] तयणु कुमरिण अणिय भइणीउ जह-कह - मवि तह जयह जेण एय मई तरुणि मन्नइ | उवरोहण वंधवह सुंदरि चयसु विसाय-भरु जं जोव्वण- लायण्ण-चर अवि य ॥ नेमिवाहचरिउ / इयरीए समुल्लविउ- हल्लि हल्लि किं एम्व जंपह । जय - गरुयउ खरउ खरु ता कि उचिउ सीहिणिहि संगह | अहवा नहयर - राय -कुल- गरुय-कलंक- करस्सु ॥ यि भइणय मई सरिस कि न चिट्ठहिं एयस्सु || [८५१] तयणु वाहिं सा वाल भण्णइ !! भुंजसु विसय-सुहाई । रूवई जगि दुलहाई !! [ ८५० ] अह थुडुकिय-वयण-कमलाए Jain Education International 2010_05 सुइर-संचिय-सील- रयणस्सृ जइ भंगु करेमि हउं ता अयल-पुर-पहुहु तह नहर - कुल-मंडमह खयर- कुमार- सिरोमणिहि गुणरवि पहह पियस्सु ॥ - कय-कलंक-सुगुरुन एसह 1 पिउहु मज्झ ससिवेग-नामह !! ससुरह रविवेगस्सु । [८५२] नूण वियरहुं वयणि मसि कुच्चु तह सीलवइ त्ति नियनामु नेउ पायालि बोलउं । ता एरिसु मह पुरउ मन भणेह पुणु वयणु भोलउं । तयणु ति दो वि अनंगरइ - पुरउ भणहिं स-विसाय | एइण जलिण न वफहईं एहि मुग कहमवि भाय ॥ ८४८. is missing in क. ख. ८४९. १. क. भइणीभो. For Private & Personal Use Only [ ८५ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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