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तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु
___ तार-पम्हल-तरल-नयणेहि स-विलासु ससहर-मुहिहिं अह सिहडि सच्चविउ पुणु पुणु । तयणंतरु तप्पिइण भणिउ ईसि हियइण हसेविणु ॥ मई मेल्लिवि कसु संमुहउँ जोइज्जइ दइयाए । जइ वरहिण पुणु कज्जु ता हउं अप्पउं सु पियाए ॥
[८३७]]
इय स-दइयह क्यणु निमुणेवि वाहाविल-लोयण वि पणय-कोह-परमुहि वि तरुणिय । ईसी-सि विहसिर भणइ - अप्पि अप्पि मह वरहि आणिय ॥ ता मन्नंतु अणुग्गहु व चयणु त निय-दइयाए । सणिउ सणिउ मंजुलु लविरु मेल्लिरु चप्पुडियाए ।
[८३८] चलिर-चूलह तिक्ख-तुंडस्सु अइमहुर-कैकारवह भुवण-सुहय-सुविचित्त-अंसह । अलि-हरगल-गवल-दल- नीलकंठ-नामह सुचंसह ॥ पंच-वन सुरवइ-धणुह- सरिस-कलाव-भरस्सु । चलिउ सु गहणूसुय-हियउ नच्चंतह वरहिस्सु ॥
[८३९] नीलकंठु वि मत्त-कलहंससम-गइण परंमुहउ दिहि-विसउ अमुयंतु चल्लिउ । समयंतरि उप्पइउ नह-यलेण धरणि-यलु मेल्लिउ । अह इयरु वि तुरियर-गइहि चल्लिउ तप्पिहीए । तो जा खण-मेत्तिण वरहि अविसइ हुउ दिट्टीए ॥ ८३७. ८. क. मंजलु ८३८. ८. क. हियउं. ८३८. २. क. म गइण,
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