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________________ [३५ नेमिनाहचरित [८३२] अह महाडवि-मज्झि हिमवंतगिरि-खंडु व धवलहरु एहु विहिउ विजाणुहाविण । कुमरेण अणंगरइ- नामगेण ता काम-जोगिण ॥ भोग-हलिय-कम्मोदइण जगि परियडमाणेण । पूरिय पंच-सयाई वर- तरुणिहिं आणिवि तेण [८३३] अन्न-दिणि पुणु तियस-गिरि-समुहु गच्छंतु असोय-तलि नियइ महिहिं गुरु खेय-दुम्मुह । तियसिदिण उव्वसि व रइ व विसम-वाणिण परम्मुह ॥ निरु रोयंत डुसुक्कएहिं वाह-जलाविल-नित्त । किण वि सु-पुरिसिण क वि तरुणि धणिउ पसाइजंत ।। [८३४] तयणु - कट कट अहह वपु वप्पु कु वि एहु महा-पुरिसु पुच-जम्म-कय-सुकय संचउ । जाइ नह-नियंविणिहि लहिवि संगु फेडिहइ उवचउ ।। जगडिय-भुवण-महाभडह विसम-वाण-सुहडस्सु । इय एसो च्चिय नर-रयणु तिलउ सयल भुवणस्सु ॥ [८३५] कह-वि जइ पुणु वाल-हरिणच्छि संपज्जइ मज्झ इह निय-सरुव-जिय-तिजय-कामिणि । । ता मन्नउं हउँ वि कय- किच्चु गमिरु निय-दिणु स-जामिणि ॥ इय चिंतंतु अणंगरइ निय-विज्जा-सत्तीए । वरहि-रूवु मणहरु करिवि पुरउ पहुत्त झत्तीए । ८३३. ७. क. मित्त. ख. तित्त. ८३४. ४. मह. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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