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नेमिनाहचरिउ [८१६]
गयण-मंडलि धरणि वलयम्मि । परिकीलिरु सर-सरिय- तियस-सिहरि-नंदण-वणाइसु । अणुरायाउर-हियय- खयर-तरुणि-गिज्जंत सिय-जसु ।। नंदीसर-वरि सासयह जिण-विवह पूयत्थु । गच्छइ मन्नंतउ नियय- जम्मु जिउ वि स-कयत्थु ॥
[८१७]
तयणु केयइ-करुणि-वियइल्लमंदार मालइ-वउल- पारियाय-पाडल-कयंवहं । हरियंदण-कुंद-लय- जूहियाहं सम्बत्तु-पहवहं ॥ चंपय-सयवत्तिय-पमुह- तरु-लइयहं कुसुमेहिं । चीणंसुय-पट्टसुइहिं तह रयणाहरणेहिं ।।
[८१०]
पूय विरइवि नियय-हत्थेहि सन्वेसि वि निच्च-जिण- भवण-वासि जिण-इंद-विवहं । अह वंदिवि भणिवि तह थोत्त-जणिय-आणंद-संतहं । नहारंभु पयासिउण स-परियणु वि जह-जोग्गु । पणमइ पय-पंकय जिणहं पुलइय-अंगोवंगु ।।
[८१९]
तयणु सुरगिरि-दीव-कुलसेलपउमदह-काणणिहि वंदमाणु जिण-नाह-विवई । जोयंतउ सर-सरिय- साहि-सिहरि-नयराइं सब्बई ।। सिरि-वेयड्ढ-महागिरिहिं जा सविहम्मि समेइ । ता एगत्थ महाडइहिं एगु धवलहरु निएइ । ८१६. १. क. धरलि; ७. क. विवह. ८१९, ६. गिरिहि.
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