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नेमिनाहचरिउ
[ ७९२ [७९२] भुवण-भंदिरु कित्ति-सुह-रसिण गुण-मालिय-सिंगियइ बिमल वुद्धि-कामिणिहि हत्थिण । धवलाविवि सज्जवइ चारु-चरिय-कुच्चिण पसस्थिण ॥ अहव समत्थु कु वण्ण णिण अप्पडिहय-पसरस्सु । गुण-कंचण-कसबट्टयह चित्तगइहि कुमरस्सु ॥
[७९३] अन्न-वासरि वयह परिणामि निसुणेविणु धम्म-कह पुरउ कसु वि केवलि-मुणिंदह । निय-नंदणु चित्तगइ तिलउ मज्झि तसु खयर-विदह ॥ रज्जि निवेसिवि वित्थरिण स-पिउ वि घेत्तु चरित्तु । सूरतेउ सो राय-रिसि सिव-पुरि पत्तु पवित्तु ॥
[७९४]
ता विसे सिण फुरिय-माहप्पु विज्जाहर-चक्कवइ दलिय-सयल-रिउ-कुल-मडप्फरु । सव्वायरु चित्तगइ जणिय-सुयण-आणंद-वित्थरु ।। सव्वत्थ वि जिण-सासणह कुणइ पहावण लोइ । कहमवि तह जह समइ तर्हि इयरह सरइ न कोइ ।।
[७९५]
दुर-देसि वि गंतु विहरंतु तिस्थाहिव-धम्मकह सुणइ थुणइ सासय-गिह-ट्ठिय । जिण-विवई धम्मि-यण थिरिकरेइ सम्मग्ग-संठिय ॥ जिण-जम्मण-वय-नाण-सिव- गमण-प्पमुह-महेसु ।
सयलारंभिण उज्जमइ आयइ-जय-सुहएसु ॥ ७९४. ८. क. कहम.
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