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तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु
[७८७] इय तुहक्खिय मई समासेण जा चारण-मुणि-रयण- पुरउ आसि निस्सुय पहाणिय । कुरु-वंस-सिरोमणिहि चउथ-चक्कवट्टिहि कहाणिय ॥ अह निसुणिवि मागह-मुहिण गुरु-विम्हय-लय-कंद । सणतुकुमार-महानिवह कह कय-भुवणाणंद ॥
[७८८]
पुव्व-नरवर-चारु-चारित्तआयण्णण-उल्लसिय- हरिस-भरिण धर-पवर-चरिइण । सिरि-सूरतेयंगइण तेण चित्तगइ-नाम-पयडिण ॥ वियरेविणु तसु मागहह वहु-परिओसिउ दाणु । गुरु-भत्तिण नहयर-सहहं ललइ सु सु-गुण-निहाणु ॥
[७८९]*
[७९० तयणु तं चिय चरिउ सुमरंतु गिजंतु खयरंगण हिं वड्ढमाण-चंछिय-समिद्धिउ । पणमंत परिपंथि-कुलु उल्लसंत-बहु-विज्ज-सिद्धिउ ॥ मणगइ-चवलगइहिं जुयउ सहियउ रयणवईए । कुमर-रयणु सिरि-चित्तगइ तूसिउ विमलमईए ॥
[७९१] विसय सेवइ दलई रिउ-दप्पु सुस्सूसइ गुरु-चलण ललइ सुहिहिं नमणिज्ज पणमइ । अणुसासइ पणइ-यणु जणइ सुत्थु सयलम्मि जणवइ । वंदइ सासय-चेइयई केवलि-वयणु सुणेइ ।
नमइ मुणिहिं साहम्मियह पुणु सम्माणु कुणेइ ॥ ७८७. ८. क. सणतुकुमारु. *७८९. is missing in क. and ख.
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